कठ उपनिषद् वाक्य
उच्चारण: [ keth upenised ]
उदाहरण वाक्य
- कठ उपनिषद् = कृष्ण यजुर्वेद, मुख्य उपिनषद्
- कठ उपनिषद् = कृष्ण यजुर्वेद, मुख्य उपिनषद्
- कठ उपनिषद् या कठोपनिषद, एक कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद है।
- दूसरी ओर कठ उपनिषद् के अनुसार श्रेय और प्रेय दो सर्वथा भिन्न वस्तुएँ हैं।
- इस वाच्य की जड़ें हमारी संस्कृति में बहुत गहरी है | कठ उपनिषद् में कहा गया-
- कठ उपनिषद् १ / १ / ३ में लिखा हैं की शरीर, इन्द्रिय और मन के साथ युक्त होकर यह आत्मा सुख दुःख का उपभोग करता हैं.
- कठ उपनिषद् के अनुसार इन्द्रियों की अपेक्षा उनके विषय श्रेष्ठ हैं, विषयों से मन उत्कृष्ट है, मन से बुद्धि श्रेष्ठ है और बुद्धि से महान् आत्मा उत्कृष्ट है.
- कठ उपनिषद् जब यह कहती है कि परमेश्वर कर्मों का फल भोगता है (1-3-1), तो उसका संकेत यह होता है कि हम ईश्वर के प्रतिरूप और छवियाँ हैं, और जब हम अपने कर्मों का फल भोगते हैं तो वह भी भोगता है.
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